‘Autism meaning in Hindi ‘ में हम जानेंगे कि ऑटिज्म क्या है, और इसके लक्षण और संकेत क्या हैं।
Table of Contents
ऑटिज़्म क्या है? (What is Autism?)
आटिज्म एक तरह का डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति को सामाजिक संपर्क, बातचीत और व्यवहार संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) भी कहा जाता है क्योंकि हर व्यक्ति का व्यवहार अलग होता है। इसीलिए ऑटिज्म को तीन स्तरों (3 Levels of Autism) में बांटा गया है। जिन्हें DSM-5 (मानसिक विकारों की नैदानिक और सांख्यिकीय मैनुअल, 5वां संस्करण) के आधार पर समझाया गया है।
इन स्तरों से हम दोहराव वाले व्यवहार (Repetitive behavior) और सामाजिक संचार (Social communication) के आधार पर अपने बच्चे के लिए समर्थन (Support) की तीव्रता देख सकते हैं। हम जानते हैं कि हमारे बच्चे किस स्तर पर आते हैं। इन सत्रों के आधार पर हम जान सकते हैं कि हमारे बच्चों को सामाजिक बातचीत (Social communication) मुख्य रूप से समर्थन की जरूरत है और दोहराए जाने वाले व्यवहार (Repetitive behavior) को संभालने के लिए कितनी मदद की जरूरत है ।
ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of Autism)
ऑटिज्म के लक्षण 18 महीने से 2 साल की उम्र में मुख्य रूप से दिखने लगते हैं। आपको सबसे पहले यह पता लगाना होगा कि आपके बच्चे को बोलने में देरी या ऑटिज्म तो नहीं है (Speech delay vs Autism), इसके लिए आप अपने बच्चे को विकासात्मक बाल रोग विशेषज्ञ (Developmental pediatricians) को दिखा सकते हैं, इनमें से कुछ लक्षण बताए गए हैं ।
बातचीत समस्याएँ (Communication issues)
ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों को बातचीत की समस्या रहती है कुछ मामलों में कुछ बच्चे नॉन वर्बल रह जाते हैं, और अगर कुछ बच्चे बोलते हैं तो उनकी स्पीच का उचित विकास नहीं होता है पर अगर उनकी स्पीच की सामान्य बच्चे से तुलना किया जाए तो इन बच्चों की स्पीच अलग होती है, कुछ बच्चे की भाषा धीरे-धीरे विकसित होती है ।
सामाजिक संपर्क समस्याएँ (Social Interaction Problems)
ऑटिस्टिक व्यक्ति को आँख से आँख मिलाने में समस्या होती है, ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को समझने में सक्षम नहीं होते हैं, तथा वे सामाजिक समारोहों या पार्कों में जहाँ बहुत सारे लोग होते हैं, असहज महसूस करते हैं और जितनी जल्दी हो सके उस वातावरण से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं, उन्हें अकेले खेलना पसंद होता है, ये बच्चे बारी-बारी से नहीं खेलते हैं या अन्य बच्चों के साथ मस्ती नहीं करते हैं ।
दोहरावपूर्ण व्यवहार (Repetitive Behaviour)
व्यवहार संबंधी समस्याएं जैसे हाथ फड़फड़ाना (Hand flapping), कूदना और हिलना (Jumping and hoping), पैर की उंगलियों पर चलना (Toe walking), खुद को चोट पहुंचाना (Self Harming), बिना किसी बात के रोना और हसना (Unnecessary crying and laughing), हाइपरएक्टिविटी (Hyperactivity) आदि। ये बच्चे कठोर दिनचर्या का पालन करते हैं और अपनी दिनचर्या में मामूली बदलाव से ही चिड़चिड़े और असहज महसूस करने लगते हैं।
सीमित रुचियां (Restricted Interests)
ऑटिस्टिक बच्चे अक्सर एक ही चीज में रूचि रखते हैं, उन्हें खिलौनों को एक लाइन में सजाना पसंद होता है, और कभी-कभी वो चीजों को फेंकते रहते हैं क्योंकि उन्हें आवाज सुनना पसंद होता है, वो बाकी वातावरण में हो रही हलचल को बिल्कुल भी नहीं सीख पाते हैं, उदाहरण के लिए, अगर ये मान लिया जाए कि एक ऑटिस्टिक बच्चा एक कमरे में खेल रहा है और अगर माता-पिता उसे उसके नाम से बुला रहे हैं तो वो कोई ध्यान नहीं देगा, ये अपने नाम से बुलाये जाने पर मुड़कर नहीं देखते (No Name to Respond)।
सेंसरी समस्याएं (Sensory Problems)
ऑटिस्टिक बच्चों को सेंसरी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, वे रौशनी, टेक्सचर और आवाज़ के संपर्क में आने पर सेंसरी व्यवहार दिखाते हैं, और वे दो प्रकार की संवेदनशीलता (Sensitivity) दिखाते हैं – अतिसंवेदनशीलता (Hypersensitivity) और हाइपोसेंसिटिविटी व्यवहार (hypersensitivity and hyposensitivity behavior)। कुछ बच्चे इन सेंसरी जरूरतों से दूर भागते हैं जबकि अन्य ऐसी सेंसरी जरूरतों की तलाश करते हैं।
ऑटिज़्म का उपचार (Treatment of Autism)
वैसे ऑटिज्म का कोई इलाज नहीं है, फिर भी जल्दी पता लगाने से (Early intervention), सही थेरेपी का चुनाव करने से, और उचित डॉक्टर की जांच के माध्यम से इन बच्चों में परिवर्तन लाया जा सकता है।
व्यवहार थेरेपी (Analysis behavior therapy ABA)
इस थेरेपी का मुख्य उद्देश्य बच्चों के सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करना और अनावश्यक और अनवांटेड व्यवहार को कम करना है। इसमें किसी भी काम को करवाने के लिए उस काम के छोटे-छोटे हिस्से बनाए जाते हैं ताकि बच्चा उसे आसानी से सीख सके और बच्चों की अच्छी प्रतिक्रिया के लिए उन्हें पुरस्कार देकर प्रेरित किया जाता है। इस थेरेपी में बच्चों के व्यवहार को नोटिस किया जाता है और डेटा कलेक्ट करके देखा जाता है कि बच्चों में कितने सुधार हुए हैं और क्या बदलाव जरूरी हैं ।
स्पीच थेरेपी (Speech Therapy)
इस थेरेपी का पहला कदम ब्लोइंग (फूंक मारना ) एंड सकिंग (चूसना) करवाना है । इस थेरपी मैं बच्चों की ओरल मोटर (Oral motor) दिकतो पे काम किया जाता है ताकि उनकी स्पीच आ जाये और वो लोगो के साथ बातचीत कर सके। इस थेरेपी में स्पीच टूल्स (Speech tools), स्पीच गियर्स (Speech gears), वाइब्रेटर ब्रश (Vibrator brush) का उपप्योग करके बच्चों की ओरल मोटर मसल्स को मजबूत किया जाता है । बच्चों को संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया विशेषण आदि के द्वारा बच्चों को स्पीच विकसित करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Occupational Therapy)
ऑक्यूपेशनल थेरेपी में बच्चे के फाइन मोटर (Fine motor) और ग्रॉस मोटर (Gross motor) स्किल्स पर काम किया जाता है। इसमें बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जाती है। इसमें आउटडोर एक्टिविटीज (outdoor activities) जैसे क्रिकेट, थ्रो एंड कैच बॉल, बैडमिंटन, खो-खो, रस्साकशी, स्लाइड और स्विंग एक्टिविटीज आदि करवाई जाती हैं।
सेंसरी एकीकरण थेरेपी (Sensory Integration Therapy)
सेंसरी एकीकरण थेरेपी में बच्चे अपनी तरह-तरह की सेंसरी की जरूरत को पूरा करने के लिए अलग-अलग रौशनी, टेक्सचर और आवाज़ के साथ जुड़ते हैं। तकनीकों में जिम बॉल का उपयोग करके गहरा दबाव, रौशनी उत्तेजना के लिए लाइट-अप खिलौने, सेंसरी मैट, ख़ास सेंसरी उपकरण और स्पर्श संवेदनशीलता (Touch sensory problems) को कम करने में मदद करने के लिए वाटर कलर शामिल हैं। ये गतिविधियाँ बच्चे के सामने आने वाली सेंसरी चुनौतियों को संबोधित करके अनावश्यक और अनवांटेड व्यवहार को कम करने में मदद करती हैं।
दवा प्रबंधन (Medication Management)
दरअसल, ऑटिज्म का कोई इलाज नहीं है। थेरेपी के अलावा, बच्चों को मेडिकल ट्रीटमेंट भी दिया जाता है। ऑटिज्म के लिए कुछ लेबल वाली और बिना लेबल वाली दवाइयों (Label and non label medicine) का इस्तेमाल किया जाता है। लेबल वाली दवाइयां वो होती हैं जो FDA द्वारा स्वीकृत (FDA-Approved Medicine) होती हैं और बिना लेबल वाली दवाइयां वो होती हैं जो बच्चों में व्यवहार और पेट की समस्या (Gastric issues) ) को कम करने के लिए दी जाती हैं।
जैसे की उत्तेजक (Stimulants), सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर (Selective Serotonin Reuptake Inhibitor), अल्फा-एड्रेनर्जिक एगोनिस्ट (Alpha adrenergic agonists) और एंटीकॉन्वल्सेंट (Anticonvulsants) आदि। इसके अलावा MeRT उपचार बी उपयोग की जाता है ऑटिज्म के उपचार के लिए। जो कि अभी कुछ देशों में उपलब्ध नहीं है।
अंतिम पंक्तियाँ (Conclusion)
यदि आपका बच्चा ऑटिज़्म के लक्षण दिखाता है, तो विकासात्मक बाल रोग विशेषज्ञ (Developmental Pediatrician) द्वारा उनकी जांच करना आवश्यक है। उपचार के लिए अपने दम पर कोई दवा देने से बचें, क्योंकि ऑटिज़्म वाले बच्चों को अक्सर व्यवहार और स्पीच चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिससे उनके लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करना मुश्किल हो सकता है। सही विचार-विमर्श करने के लिए, एक बाल चिकित्सा न्यूरोलॉजिस्ट (Pediatric Neurologist) से परामर्श करें। .
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions FAQs)
ऑटिज़्म क्या है?
ऑटिज्म को ASD (ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर) के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ऑटिज्म से पीड़ित हर एक इंसान का व्यवहार अलग होता है जिसमें व्यक्ति को सामाजिक संपर्क, स्पीच और व्यवहार में अनुभवों का सामना करना पड़ता है।
ऑटिज़्म के लिए FDA द्वारा अनुमोदित दवाएं कौन सी हैं?
अब अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (US-FDA) ने ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ADS) के उपचार के लिए इन दो दवाओं को मंजूरी दे दी है। इनके नाम हैं
1) रिसपेरीडोन ( Risperidone)
2) एरिपिप्राजोल (Aripiprazole)
क्या वर्चुअल ऑटिज़्म का इलाज संभव है?
हां, वर्चुअल ऑटिज़्म को ठीक किया जा सकता है। वर्चुअल ऑटिज्म अक्सर उन बच्चों में देखा जाता है जो मोबाइल फोन, टैबलेट और टीवी पर अत्यधिक स्क्रीन समय बिताते हैं। यह जादा स्क्रीन एक्सपोज़र लेना लोगों के साथ उनकी बातचीत को कम करता है, सामाजिक मेलजोल करने की उनकी क्षमता में रुकावट्ट उत्पन्न करता है, जो बदले में, उनके स्पीच विकास में देरी कर सकता है।
ऑटिज़्म में अति सक्रियता (Hyperactivity) को कैसे कम करें?
बच्चों में अति सक्रियता को कम करने के लिए उनकी दिनचर्या बनाएं, आहार में चीनी कम रखें, नियमित व्यायाम करें तथा दैनिक दिनचर्या में व्यावसायिक गतिविधियां (occupational therapy activities) और बाहरी गतिविधियां (outdoor activities) शामिल करें।
ऑटिज़्म में आँखों का संपर्क (Eye contact) कैसे सुधारें?
आँख से आँख मिलाने के लिए हॉर्न जैसी आवाज़ का इस्तेमाल करें, उनके सामने बैठें और जब वे आपकी तरफ़ थोड़ा ध्यान दें, तो उन्हें गुड (good), वॉव (wow) जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके प्रेरित करें। खेलते समय उनसे आँख से आँख मिलाएँ, उदाहरण के लिए आप अपने चहरे पर बिंदी लगाये – गाल, सिर, मुँह, नाक और खेलते समय बच्चे से बिंदी हटाने के लिए कहें। ये गतिविधियाँ बच्चों की आँख से आँख मिलाने में मदद कर सकती हैं।
Pingback: Can Autism Go Away : Understanding Progress and Hope
Pingback: What is BCBA and Why it is Important for Autistic Children