Autism medication Treatment या ऑटिज्म में ऑफ लेबल दवाइयाँ 2.0: Benefits, Side Effects और Results

पिछले ब्लॉग में हमने ऑटिज्म के इलाज के लिए FDA-अप्रूव्ड दवाओं के बारे में चर्चा की थी। उसी को आगे बढ़ाते हुए, इस ब्लॉग 2.0 में हम ऑटिज्म के लिए प्रभावी ऑफ-लेबल दवाओं या Autism medication Treatment के इलाज पर बात करेंगे। जैसा कि पहले बताया गया था, ऑटिज्म का इलाज दो प्रकार में बांटा जाता है: लेबल और ऑफ-लेबल इलाज।

Table of Contents

ऑटिज्म के लिए ऑफ-लेबल मेडिकेशन ट्रीटमेंट (Off-Label Autism medication Treatment )

ये उपचार ऐसी दवाएं हैं जिन्हें खासतौर पर ऑटिज्म के लिए FDA से मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन डॉक्टर इन्हें ऑटिस्टिक बच्चों के खास लक्षणों या व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए लिखते हैं। इन दवाओं का इस्तेमाल अक्सर FDA-स्वीकृत दवाओं (Label-Medicines or FDA approved medicines for Autism) के साथ किया जाता है और इन्हें डॉक्टर की देखरेख और सलाह के बिना नहीं लिया जाना चाहिए।

लेबल ट्रीटमेंट वे हैं जो FDA से मंजूरी प्राप्त हैं, जबकि ऑफ-लेबल ट्रीटमेंट, लेबल ट्रीटमेंट के साथ मिलकर दिए जाते हैं। अगर आप लेबल ट्रीटमेंट के बारे में और जानना चाहते हैं, तो मेरा पिछला ब्लॉग पढ़ सकते हैं।

इस ब्लॉग में, हम ऑफ-लेबल ट्रीटमेंट पर चर्चा करेंगे। ये ट्रीटमेंट खासतौर पर ऑटिस्टिक बच्चों के खास व्यवहार को सुधारने के लिए बनाए गए हैं और इन्हें केवल डॉक्टर की सलाह और देखरेख में शुरू करना चाहिए।

ऑटिज्म में न्यूरोट्रांसमीटर की भूमिका (Role of Neurotransmitter in Autism)

ऑटिज्म के इलाज में अलग-अलग न्यूरोट्रांसमीटर जैसे डोपामाइन (Dopamine), सेरोटोनिन (Serotonin), ऑक्सीटोसिन (Oxytocin), एसीटाइलकोलाइन (Acetylcholine), नॉरएपिनेफ्रिन (Nor-epinephrine), ग्लूटामेट (Glutamate) और GABA (गामा-एमिनोब्यूटिरिक एसिड) को टारगेट किया जाता है। इन न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन को ठीक करके ऑटिस्टिक बच्चों के खास व्यवहार को नियंत्रित किया जाता है। इन ट्रीटमेंट में एंटी-डिप्रेसेंट, नींद के लिए मेलाटोनिन, ऑक्सीटोसिन जैसे हार्मोन, मूड स्टेबलाइजर और लिपिड आधारित दवाइयाँ शामिल हैं, जो नींद की समस्याओं और मूड अस्थिरता जैसे लक्षणों को ठीक करने में मदद करते हैं।

ऑक्सीटोसिन
डोपामिन
सेरोटोनिन
ऑटिज्म में न्यूरोट्रांसमीटर की भूमिका

ऑटिज्म ट्रीटमेंट्स का वर्गीकरण (Autism medication Treatment Classification)

ऑटिज्म ट्रीटमेंट्स को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. एंटीडिप्रेसेंट्स (Antidepressants)-सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इन्हिबिटर्स (SSRI): फ्लूऑक्सेटीन (प्रोज़ैक), सेरट्रालिन (ज़ोलॉफ्ट), एस्किटलोप्राम। (Fluoxetine (Prozac), Sertraline (Zoloft), Escitalopram)
  2. एंटीसाइकोटिक (Atypical Antipsychotics)-रिसपेरीडोन (FDA से मंजूर), एरिपिप्राजोल, क्वेटियापाइन, ओलैंज़ापाइन। ( Risperidone (FDA Approved), Aripiprazole, Quetiapine, Olanzapine)
  3. स्टिमुलेंट्स और नॉन-स्टिमुलेंट्स (Stimulants and Non-Stimulants)- मेथिलफेनिडेट (रिटलिन), एटोमोक्सेटिन, एडडरॉल (एम्फेटामाइन/डेक्स्ट्रोएम्फेटामाइन)। (Methylphenidate (Ritalin), Atomoxetine, Adderall (amphetamine/dextroamphetamine))
  4. मूड स्टेबलाइजर्स (Mood Stabilizers)-एंटीकन्वल्सेंट (Anticonvulsant): वेलप्रोएट (डिपाकोट), लैमोट्रिगिन। (Valproate (Depakote), Lamotrigine)
  5. एंटी-एंग्जायटी मेडिसिन (Anti-Anxiety Medications)-बुसपिरोन, क्लोनाज़ेपैम। (Buspirone, Clonazepam)
  6. स्लीप एड्स (Sleep Aids)-मेलाटोनिन। (Melatonin)
  7. एंटी-सीजर मेडिसिन्स (Anti-seizure Medications)-गैबापेंटिन, लेवेटिरासेटम। (Gabapentin, Levetiracetam)
  8. बीटा-ब्लॉकर्स (Beta-Blockers)-प्रोपरेनोल। (Propranolol)
  9. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मेडिसिन्स (Gastrointestinal Medications)-प्रोबायोटिक्स, लैक्सेटिव्स। (Probiotics, Laxatives)
  10. अल्फा-2 एड्रेनर्जिक एगोनिस्ट (Alpha-2 Adrenergic Agonist)– गुआनफासीन (इंट्यूनिव), क्लोनिडिन। (Guanfacine (Intuniv), Clonidine)
  11. ओपिओइड एंटागोनिस्ट (Opioid Antagonist)– नाल्ट्रेक्सोन। (Naltrexone)
  12. ऑक्सीटोसिन थेरेपी (Oxytocin Therapy)-ऑक्सीटोसिन हार्मोन का उपयोग।

1. एंटीडिप्रेसेंट्स (Antidepressants) – सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इन्हिबिटर्स (SSRI)

उदाहरण-फ्लूऑक्सेटीन (प्रोज़ैक), सेरट्रालिन (ज़ोलॉफ्ट), एस्किटलोप्राम ((Fluoxetine (Prozac), Sertraline (Zoloft), Escitalopram))

ये दवाइयाँ ऑटिज्म वाले बच्चों में चिंता, पुनरावृत्ति व्यवहार और अवसाद (डिप्रेशन) को कम करने के लिए दी जाती हैं। ये दवाइयाँ सेरोटोनिन को बढ़ाती हैं, जिससे मूड और व्यवहार में सुधार होता है। इनके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे कि उल्टी, सिरदर्द, थकान, भूख में बदलाव और नींद में परेशानी।

2. एटिपिकल एंटीसाइकोटिक (Atypical Antipsychotics)

उदाहरण-रिसपेरीडोन (FDA द्वारा अनुमोदित), एरिपिप्राजोल, क्वेटियापाइन, ओलैंज़ापाइन (Risperidone (FDA Approved), Aripiprazole, Quetiapine, Olanzapine)

ये दवाइयाँ आक्रामकता और हिंसक व्यवहार को कम करने और मूड और भावनाओं को स्थिर करने में मदद करती हैं। ये दवाइयाँ डोपामाइन D2 और सेरोटोनिन 5-HT2 रिसेप्टर्स को ब्लॉक करती हैं, जिससे इन न्यूरोट्रांसमिटर्स का असंतुलन ठीक होता है। ये दवाइयाँ ऑटिज्म वाले बच्चों में चिड़चिड़ापन और सामाजिक समस्याओं को भी सुधार सकती हैं। इनके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे वजन बढ़ना, नींद में कमी, हार्मोनल बदलाव और मोटर समस्याएं।

3. स्टिमुलेंट्स और नॉन-स्टिमुलेंट्स (Stimulants and Non-Stimulants)

उदाहरण- मेथिलफेनिडेट (रिटलिन), एटोमोक्सेटिन, एडडरॉल (एम्फेटामाइन/डेक्स्ट्रोएम्फेटामाइन) (Methylphenidate (Ritalin), Atomoxetine, Adderall (amphetamine/dextroamphetamine)

ये दवाइयाँ ध्यान केंद्रित करने, आवेग (impulsivity) को कम करने और आत्म-नियंत्रण को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। स्टिमुलेंट्स डोपामाइन और नॉरेपिनेफ्रिन के रिलीज को बढ़ाते हैं, जबकि नॉन-स्टिमुलेंट्स इन्हें रीअपटेक से रोकती हैं। ये दवाइयाँ तब दी जाती हैं जब ऑटिज्म के साथ, ADHD (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) के लक्षण भी होते हैं। इनके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे नींद की समस्याएं, भूख कम होना, मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन।

4. मूड स्टेबलाइजर्स – एंटीकन्वल्सेंट्स (Mood Stabilizers-Anticonvulsant)

उदाहरण-वेलप्रोएट (डिपाकोट), लैमोट्रिगिन (Valproate (Depakote), Lamotrigine)

ये दवाइयाँ आक्रामकता, चिड़चिड़ापन, आवेगपूर्ण व्यवहार और अत्यधिक मूड परिवर्तन को स्थिर करने में मदद करती हैं। ये दवाइयाँ मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि को नियंत्रित करती हैं और न्यूरोट्रांसमिटर GABA को बढ़ाती हैं, जो मूड और न्यूरल स्थिरता को बढ़ावा देता है। हालांकि, इन दवाइयों के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे वजन बढ़ना, नींद में कमी, चक्कर आना।

5. एंटी-एंग्जायटी मेडिसिन (Anti-Anxiety Medications)

उदाहरण: बुसपिरोन, क्लोनाज़ेपाम (Buspirone, Clonazepam)

ये दवाएं ऑटिज्म से जुड़े बच्चों में चिंता, सोशल डर और पैनिक अटैक को कम करने में मदद करती हैं। इनसे बच्चों को बेहतर नींद और आराम मिलता है। बुसपिरोन यह सेरोटोनिन रिसेप्टर्स पर काम करती है। क्लोनाज़ेपाम यह नर्वस सिस्टम को शांत करता है और GABA एक्टिविटी बढ़ाता है।
हालांकि, इन दवाओं के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जैसे- नींद आना और चक्कर आना। लंबे समय तक इनका उपयोग करने से डिपेंडेंसी (आदत पड़ना) का खतरा हो सकता है। एंग्जायटी कम करने के लिए कुछ प्राकृतिक तरीके भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जो तस्वीर में दिए गए हैं।

6. स्लीप एड्स (Sleep Aids)

उदाहरण- मेलाटोनिन (Melatonin)

मेलाटोनिन एक हार्मोन है जो नींद-जागने के चक्र को नियंत्रित करने में मदद करता है और सोने में देरी को कम करता है। ऑटिस्टिक बच्चों में नींद की समस्याएं आम होती हैं, और मेलाटोनिन दिमाग के प्राकृतिक नींद संकेतों को समर्थन देता है, जिससे बच्चों के लिए सोना आसान हो जाता है। यह जल्दी नींद आने, बेहतर नींद की गुणवत्ता और रात में कम जागने में मदद करता है। हालांकि, कुछ साइड इफेक्ट्स जैसे कि विचित्र सपने या दिन में नींद आना हो सकते हैं, लेकिन यह दुर्लभ है। कुछ प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करके ऑटिस्टिक बच्चों में नींद को बढ़ावा दिया जा सकता है, जो तस्वीर में दिए गए हैं।.

एंटी-एंग्जायटी मेडिकेशन्स

Autism medication Treatment
5 खाद्य पदार्थ जो आपको बेहतर नींद दिलाने में मदद करेंगे

7. एंटी-सीजर मेडिसिन्स (Anti-seizure medications)

उदाहरण – गैबापेंटिन, लेवेटिरासेटम (Gabapentin, Levetiracetam)

गैबापेंटिन और लेवेटिरासेटम का इस्तेमाल तब किया जाता है जब एपिलेप्सी और ऑटिज़्म साथ में होते हैं। ये दवाइयाँ मूड को शांत करने और आक्रामकता को कम करने में मदद करती हैं। ये ब्रेन के असामान्य इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को स्थिर करके मिर्गी को कंट्रोल करती हैं और दोहराए जाने वाले व्यवहारों को कम करती हैं। कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स में नींद आना, थकान और मूड में बदलाव शामिल हैं।

8. बीटा-ब्लॉकर्स (Beta-Blockers)

उदाहरण – प्रोपरेनोलोल (Propranolol)

प्रोपरेनोलोल एक बीटा-ब्लॉकर है जो ऑटिज़्म में सामाजिक इंटरएक्शन को सुधारने और आक्रामकता, चिंता और सामाजिक तनाव को कम करने में मदद करता है। यह तेज़ धड़कन और कांपने जैसे शारीरिक लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह तनाव हार्मोन जैसे एड्रेनालिन (Adrenaline) को ब्लॉक करके मस्तिष्क और शरीर को शांत करता है। हालांकि, इससे कम रक्तचाप और चक्कर आने जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

9. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मेडिसिन्स (Gastrointestinal Medications)

उदाहरण – प्रोबायोटिक्स, लैक्सेटिव्स (Probiotics, Laxatives)

प्रोबायोटिक्स आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं और पाचन को सहायक होते हैं, जिससे ऑटिज़्म वाले बच्चों में आराम मिलता है। यह मूड और व्यवहार को सुधारने में मदद कर सकते हैं और साथ ही बाउल मूवमेंट्स को नियंत्रित कर सकते हैं। कई ऑटिज़्म वाले बच्चों को दस्त या कब्ज जैसी समस्याएँ होती हैं, जिन्हें प्रोबायोटिक्स के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है।

10. अल्फा-2 एड्रेनर्जिक एगोनिस्ट (Alpha-2 Adrenergic Agonist)

उदाहरण – गुआनफासीन (इंट्यूनिव), क्लोनिडिन (आर्कामिन) (Guanfacine (Intuniv), Clonidine)

गुआनफासीन (इंट्यूनिव) और क्लोनिडिन के फायदे में हाइपरएक्टिविटी को कम करना, बेहतर इम्पल्स कंट्रोल, बेहतर नींद और ध्यान केंद्रित करने में मदद करना शामिल हैं। ये दवाइयाँ बच्चों के अति सक्रिय या व्यवधानपूर्ण व्यवहार के लिए सहायक होती हैं। ये ब्रेन को शांत करने के लिए एड्रेनर्जिक रिसेप्टर्स (adrenergic receptors) पर काम करती हैं। हालांकि, इनसे रक्तचाप कम होना और थकान जैसी साइड इफेक्ट्स हो सकती हैं।

11. ओपिओइड एंटागोनिस्ट (Opioid Antagonist)

उदाहरण – नाल्ट्रेक्सोन (Naltrexone)

नाल्ट्रेक्सोन का इस्तेमाल आत्म-चोट, चिड़चिड़ापन और गंभीर आक्रामकता को नियंत्रित करने में किया जाता है। यह ब्रेन में ओपिओइड रिसेप्टर्स को ब्लॉक करके इन व्यवहारों को कंट्रोल करता है। कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स में मिचली और चक्कर आना शामिल हैं।

12. ऑक्सीटोसिन थेरेपी (Oxytocin Therapy)

ऑक्सीटोसिन बच्चों के लिए आँखों में संपर्क, संवाद और सामाजिक प्रतिक्रियाओं को सुधारने में मदद करता है। यह थेरेपी विशेष रूप से तब सहायक होती है जब सामाजिक समस्याएँ अधिक होती हैं। हालांकि, इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे हल्का इरिटेशन या सिरदर्द।

निष्कर्ष (Conclusion): Autism medication Treatment

ऑटिज्म में डोपामाइन, सेरोटोनिन, GABA (गामा-एमिनोब्यूटिरिक एसिड) और ग्लूटामेट जैसे न्यूरोट्रांसमीटर का असंतुलन मुख्य भूमिका निभाता है। यह असंतुलन संवेदनशीलता, बार-बार दोहराने वाले व्यवहार, मूड स्विंग और सामाजिक संचार में कठिनाइयों को प्रभावित करता है।

इस असंतुलन को ठीक करने के लिए सही थेरेपी जैसे स्पीच थेरेपी, सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और ABA (एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस) थेरेपी के साथ दवाएं जैसे रिसपेरीडोन, एरिपिप्राजोल, स्टिमुलेंट्स और SSRIs (सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इन्हिबिटर्स) मदद करती हैं।

सभी दवाएं डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही लेनी चाहिए ताकि सुरक्षित और प्रभावी उपचार हो सके। सही थेरेपी और उपचार से ऑटिस्टिक बच्चों को लाइफ स्किल्स सिखाने और प्रगति करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, सकारात्मक गतिविधियों के जरिए खुश रहने वाले हार्मोन को बढ़ाना भी फायदेमंद हो सकता है। इसका विवरण हमने चित्र में दिया है।

अपने खुशी के हार्मोन को बढ़ाने के तरीके

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions FAQs)

ऑटिज्म के उपचार के लिए कौन सी दवाओं का प्रयोग किया जाता है?

रिसपेरीडोन और एरिपिप्राजोल (Risperidone (FDA Approved), Aripiprazole), जो FDA से मंजूर दवाएं हैं, ऑटिज्म के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं और इन्हें लेबल्ड दवाओं में माना जाता है। दूसरी ओर, ऑफ-लेबल दवाएं, जो FDA द्वारा मंजूर नहीं होती हैं, लेबल्ड दवाओं के साथ मिलाकर उपयोग की जाती हैं। इनमें सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इन्हिबिटर्स (SSRIs), स्टिमुलेंट्स (Stimulants), मूड स्टेबलाइजर्स (Mood stabilizers), स्लीप एड्स (Sleep aids) आदि शामिल हैं।

क्या बच्चे में सुधार दिखने पर दवाइयां बंद की जा सकती हैं?

ऑटिज्म के लिए दवा को कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के बंद या बदलना नहीं चाहिए। बच्चे अक्सर दवाओं का अच्छा प्रतिक्रिया करते हैं, लेकिन समय के साथ दवा में बदलाव करना ज़रूरी है। बिना उचित बदलाव के, दवा में बदलाव बच्चे के व्यवहार को और खराब कर सकता है। माता-पिता को डॉक्टर की सलाह के बिना दवा बंद या डोज़ कम नहीं करना चाहिए। अगर डॉक्टर दवा बंद करने की सलाह देते हैं, तो पहले बच्चे के व्यवहार पर डॉक्टर से चर्चा करना ज़रूरी है। अगर डॉक्टर को दवा से कोई असर नहीं दिखाई देता है, तो वह धीरे-धीरे डोज़ कम करेंगे और अंततः दवा को बंद कर देंगे। न्यूरोलॉजिस्ट आमतौर पर बच्चे की पूरी प्रगति और व्यवहार के आधार पर डोज़ को बदलते हैं।

क्या ऑटिज़्म के लिए नेचुरल एंड अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट्स उपलब्ध हैं?

इन उपचारों का उपयोग अन्य थेरेपीज़ के साथ मिलाकर लक्षणों को नियंत्रित करने और बच्चों में जीवन कौशल को सुधारने के लिए किया जाता है। एक ऐसा उपचार है आहार परिवर्तन, जिसमें ग्लूटेन-फ्री-केसिन-फ्री आहार (GFCF डाइट) पर ध्यान केंद्रित करना और पोषण संबंधी बदलाव करना शामिल है। आप ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोबायोटिक्स और अन्य विटामिन जैसे सप्लीमेंट्स के साथ मस्तिष्क कार्यक्षमता को भी सुधार सकते हैं। कुछ माता-पिता ने इन सप्लीमेंट्स से सकारात्मक प्रभाव की रिपोर्ट की है। इसके अलावा, स्पीच थेरेपी, सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और ABA (एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस) थेरेपी और संगीत थेरेपी जैसी थेरेपीज़ आपके बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकती हैं।

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