ऑटिज़्म के लक्षण (Autism symptoms) अक्सर अन्य स्थितियों जैसे सेंसेरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (SPD) और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) से मिलते-जुलते हैं, जो डायग्नोसिस प्रक्रिया (Diagnosis test) को जटिल बना सकते हैं। स्पीच डिले (speech delay) और कॉमॉर्बिड कंडीशन्स (comorbid conditions) जैसी चुनौतियां गलत डायग्नोसिस के जोखिम को और बढ़ा देती हैं। मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक द्वारा पूछे गए सवालों के पीछे की मंशा को समझना महत्वपूर्ण है। घर पर बच्चे के व्यवहार का करीब से निरीक्षण करके, हम कई लक्षण पहचान सकते हैं, जो सटीक डायग्नोसिस में मदद कर सकते हैं।
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माता-पिता को ध्यान देने योग्य आम ऑटिज़्म के लक्षण
1. नाम पुकारने पर प्रतिक्रिया न देना
अगर बच्चा अपने नाम पर प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो यह ऑटिज़्म का बड़ा संकेत हो सकता है। बच्चे का ध्यान आकर्षित करने के लिए अलग-अलग तरीके आजमाए जा सकते हैं।
2. आंखों में देखकर बात न करना
ऑटिज़्म से प्रभावित बच्चे आमतौर पर आंखों में देखकर बात नहीं करते। यह एक सामान्य लक्षण है जिसे गतिविधियों के जरिए सुधारा जा सकता है।
3. दोहराव वाला व्यवहार
हाथ हिलाना, कूदना, शब्द या क्रियाओं को दोहराना, और चीजों को चबाना ऑटिज़्म से जुड़े सामान्य व्यवहार हैं। बच्चे अक्सर पंखे की घूमती ब्लेड या खिलौनों के पहियों जैसी चीजों से आकर्षित होते हैं। इन व्यवहारों को सही दिशा में मार्गदर्शित करना जरूरी है।

4. संवेदनशीलता में असामान्यता
बच्चे कभी-कभी आवाज़, रोशनी, या स्पर्श के प्रति अत्यधिक संवेदनशील (Hypersensitive) या कम संवेदनशील (Hyposensitive) हो सकते हैं। 90% बच्चे सेंसेरी चुनौतियों का सामना करते हैं। सही समर्थन और सुविधाजनक माहौल इसमें मदद करता है।
5. संयुक्त ध्यान की कमी
संयुक्त ध्यान ऑटिज्म (Joint Attention Autism) का मतलब है कि दो लोग एक ही चीज़ या घटना पर ध्यान दें और एक-दूसरे से बातचीत करें। यह बातचीत बिना शब्दों के हो सकती है, जैसे आँखों से संपर्क करना या किसी चीज़ की ओर इशारा करना। उदाहरण के लिए, एक बच्चा अपने माता-पिता की ओर से हवाई जहाज की तरफ इशारा करने पर उस ओर देखता है, फिर माता-पिता की तरफ देखकर अपनी खुशी साझा करता है, और फिर वापस हवाई जहाज को देखता है। इस तरह का ध्यान और साझा अनुभव दोनों के बीच एक जुड़ाव बनाता है।
6. भाषा और बोलने में कठिनाई
कुछ बच्चों में बोलने में देरी होती है, जबकि कुछ की भाषा क्षमताओं में कमी होती है। फंक्शनल कम्युनिकेशन (functional communication) सिखाने से यह समस्या हल हो सकती है।
7. गुस्सा और आत्म-नुकसान
बच्चे को गुस्से का सही तरीके से प्रबंधन सिखाना आवश्यक है। आत्म-नुकसान जैसे सिर पटकना या खुद को काटना, सही गाइडेंस और सकारात्मक दृष्टिकोण से कम किया जा सकता है।
8. हाइपरएक्टिविटी
बच्चे एक जगह नहीं बैठते, वे लगातार दौड़ते और कूदते रहते हैं। यह ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने के लिए रचनात्मक गतिविधियां फायदेमंद हो सकती हैं।
9. सामाजिक और व्यवहारिक विकास
“हैलो,” “थैंक यू,” और “सॉरी” जैसे शब्द सिखाने से बच्चों का सामाजिक विकास होता है। भावनाओं को समझने में उन्हें निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है।

10. दिनचर्या में बदलाव से परेशानी
बच्चे दिनचर्या में बदलाव को आसानी से स्वीकार नहीं करते। पहले से तय दिनचर्या और गतिविधियां संक्रमण को आसान बनाती हैं।
11. खतरे को पहचानने में कठिनाई
ऑटिस्टिक बच्चों में जोखिम पहचानने की क्षमता कमजोर होती है। इसे धीरे-धीरे विकसित किया जा सकता है।
12. खेल और मोटर व्यवहार पर ध्यान
अगर बच्चा फर्नीचर पर चढ़ता है या अजीब तरीके से खेलता है, तो उसकी ऊर्जा को सही दिशा में चैनलाइज करना जरूरी है।
13. संवाद की कठिनाई
बच्चा अपनी जरूरतें नहीं बता पाता, जैसे इशारे करना या शरीर के अंगों की ओर इशारा(parts of body) करना। नियमित अभ्यास से बच्चे इन चीजों को सीख सकते हैं।
14. पैर की उंगलियों पर चलना (Toe Walking)
पैर की उंगलियों पर चलना (टो वॉकिंग) ऑटिज़्म का संकेत हो सकता है, जो अक्सर सेंसेरी समस्याओं या मांसपेशियों की जकड़न से जुड़ा होता है।
15. पेट से जुड़ी समस्याएं
कब्ज, एसिडिटी, या पाचन समस्याएं आमतौर पर देखी जाती हैं। कई बच्चों को ग्लूटेन और केसिन (gluten and casein) संवेदनशीलता होती है। इसे डायट प्लान से सुधार किया जा सकता है।
16. नींद की समस्या
ऑटिस्टिक बच्चों को सोने में परेशानी होती है। वे रात में जागे रहते हैं।
17. स्टीरियोटाइपिकल व्यवहार (stereotype behavior)
बच्चे अपनी आंखों को साइड से चीजों को देखने के लिए घुमाते हैं। यह भी ऑटिज़्म का संकेत हो सकता है।
18. खिलौनों को लाइन में लगाना
बच्चे खिलौनों को एक सीधी लाइन में लगाना पसंद करते हैं और बार-बार उसी तरीके से खेलते हैं।
19. माता-पिता की नकल न करना
बच्चे माता-पिता की हरकतों को कॉपी नहीं करते (imitation)। नियमित अभ्यास और प्रोत्साहन से उन्हें नकल करना सिखाया जा सकता है।
20. खाने की आदतों में समस्याएं
बच्चे खाने में बहुत चयनशील होते हैं। यह उनकी सेंसेरी और व्यवहारिक समस्याओं से जुड़ा हो सकता है।
माता-पिता के लिए व्यावहारिक टिप्स
1. सकारात्मक और धैर्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएं
धैर्य और प्यार बच्चों के व्यवहार को समझने और उन्हें सही दिशा में सिखाने के सबसे बड़े साधन हैं।
2. ऑटिज़्म की जटिलता: लक्षणों का ओवरलैप
ऑटिज़्म के लक्षण कई अन्य विकारों के साथ ओवरलैप हो सकते हैं, जिससे इसका निदान एक जटिल प्रक्रिया बन जाता है। बच्चों के व्यवहार और विकास से जुड़े लक्षणों को पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है।
3. जल्दी निदान का महत्व
जल्दी पहचान और सही समय पर हस्तक्षेप बच्चों की प्रगति में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां बच्चों ने सही मदद मिलने पर उल्लेखनीय सुधार किया है।
4. घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाएं
घर का शांत और सुकून भरा वातावरण बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास में मदद करता है।
- घर का माहौल अवलोकन के लिए सबसे अच्छा है।
- बच्चे के सामाजिक और संचार कौशल पर काम करें:
- हैलो, थैंक्यू, वेलकम और गुडबाय सिखाएं।
- चित्रों और वस्तुओं की पहचान के माध्यम से इशारा करने और बुनियादी हावभाव का अभ्यास करें।
निष्कर्ष
ऑटिस्टिक बच्चों के व्यवहार को संभालने के लिए Occupational Therapy, Sensory Integration Therapy, Speech Therapy और ABA Therapy (Applied Behavior Analysis) का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, कुछ दवाएं जैसे off label medicine, FDA-अप्रूव्ड Risperidone और Aripiprazole भी डॉक्टर की सलाह से दी जाती हैं। ये सभी उपचार केवल योग्य डॉक्टर की देखरेख और मार्गदर्शन में ही लेने चाहिए। इन लक्षणों को समझकर बच्चों को सही मार्गदर्शन और समर्थन देना उनके विकास के लिए बेहद जरूरी है।
माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे ऑटिज्म के लक्षणों को समझें और समय पर उन पर ध्यान दें। जल्दी पहचान और उपचार से बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। इन लक्षणों पर ध्यान देकर माता-पिता और देखभाल करने वाले बच्चों की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उन्हें एक स्वस्थ और सकारात्मक जीवन की ओर बढ़ने में मदद कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions FAQs)
ऑटिस्टिक बच्चे खाना चुनने में इतने नखरे क्यों करते हैं?
ऑटिस्टिक बच्चे अक्सर या तो बहुत नखरे करते हैं खाने में या फिर ज़रूरत से ज़्यादा खाते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। यह उनकी सेंसरी, बिहेवियरल या डेवलपमेंटल चुनौतियों से जुड़ा हो सकता है। कई ऑटिस्टिक बच्चे खाने की गंध, स्वाद, बनावट और तापमान के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ खाने की चीज़ें उन्हें बहुत कड़वी, तेज गंध वाली या चिपचिपी लग सकती हैं। ऐसे बच्चे उन खाने की चीज़ों को पसंद करते हैं जो उनकी सेंसरी पसंद के अनुसार हों, जैसे कुरकुरी, नरम या सादी चीज़ें। इसके अलावा, कई बच्चे खाने के रंग, आकार या उसकी प्रस्तुति के आधार पर उसे पसंद या नापसंद करना शुरू कर देते हैं। अगर किसी खाने की चीज़ का दिखने का तरीका बदल जाए, तो वे उसे खाने से मना कर सकते हैं।
ऑटिस्टिक बच्चे ज्यादा खाना क्यों खाते हैं?
ऑटिस्टिक बच्चे अक्सर या तो बहुत चुनीदा खाने वाले होते हैं या बहुत ज्यादा खाने वाले। इसका कारण उनकी सेंसरी समस्याएं, व्यवहार के पैटर्न, या विकास से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ बच्चों को भूख या पेट भरने के संकेत समझने में दिक्कत होती है, जिससे वे बिना भूख महसूस किए खाते रहते हैं। इसके अलावा, यह आदत स्ट्रेस, चिंता, या बोरियत की वजह से भी हो सकती है।